Short stories in Hindi, often referred to as “Hindi Kahaniyan,” are a rich and diverse literary form that has played a significant role in Indian literature for centuries. These compact narratives are known for their ability to convey profound themes, emotions, and moral lessons in a concise format

Short Hindi stories with moral lessons, or “Hindi Kahaniyan with Seekh,” are a beloved genre of literature that serves both entertainment and educational purposes. These stories are designed to convey important life lessons, values, and ethical principles in a concise and engaging format.

In essence, short Hindi stories with moral lessons play a vital role in promoting values and ethics within Indian society. They serve as a bridge between tradition and modernity, continuing to inspire and guide individuals towards making ethical choices and leading virtuous lives.

Moral and Social Messages: Many short hindi stories are known for imparting moral and social messages. Short hindi stories often depict the struggles of ordinary people and explore the consequences of their actions, encouraging readers to reflect on their own lives and choices.

Top 10 Moral stories in hindi – Short story with moral in hindi

Top 10 moral stories in hindi

कहानी नंबर 1 – डरपोक पथ्थर – Hindi stories short

कुछ समय पहले की बात है, एक गाँव में एक शिल्पकार रहता था। वह हर रोज़ जंगल जाकर मूर्ति बनाने के लिए पत्थर लेकर आता था। एक दिन वह पत्थर लेने के लिए जंगल गया। वहाँ उसे मूर्ति बनाने के लिए एक बहुत अच्छा और सुंदर पत्थर मिल गया। जब वह वापस आ रहा था तो रास्ते मैं उसको एक और अच्छा पत्थर दिखा, तो वह उसको भी उठा कर अपने साथ ले आया।

घर आकर उसने उन दो पत्थरों मैं से एक पत्थर को उठाया और उसपर अपने औज़ारों से कारीगरी करनी शुरू कर दी। औज़ारों की चोट जब पत्थर पर पड़ी, तो वह पत्थर दर्द के साथ कहने लगा कि मुझे छोड़ दो। इसकी चोट से मुझे बहुत दर्द हो रहा है। अगर इसी तरह तुम मुझे औज़ारों से पीटते रहोगे तो मै टूट कर बिखर जाऊंगा। तुम मुझे छोड़ दो और मूर्ति बनाने के लिए कोई और पत्थर का उपयोग कर लो।

उस पत्थर की बात सुन कर उस शिल्पकार को उस पत्थर पर दया आ गयी। उसने उस पत्थर को वहाँ से हटा कर दूसरे पत्थर को मूर्ति बनाने के लिए उठा लिया। जब उसने अपने औज़ारों से उस दूसरे पत्थर पर कारीगरी शुरु की तो वह दूसरा पत्थर कुछ भी नहीं बोला। वह चुपचाप औज़ारों की चोट सहता रहा, कुछ ही समय में उस पत्थर से उस मूर्तिकार ने बहुत खूबसूरत भगवान की मूर्ति बना डाली। जब मूर्ति बनकर तैय्यार हो गई तो गाँव के लोग उस मूर्ति को लेने आये।

उन्होंने वहाँ उस दूसरे पत्थर को देखा तो उन्हें ख्याल आया कि नारियल फोड़ने के लिए हमें एक और पत्थर चाहिए तो क्यों ना इसी को लेलैं। तो उन लोगों ने उस पहले पत्थर को उठाया और उसे भी अपने साथ ले लिया। मूर्ति को उन्होंने मंदिर में रख दिया और उस पत्थरको मूर्ति के सामने रख दिया। फिर जब लोग मन्दिर मैं दर्शन के लिए आते तो उस मूर्ति की पूजा करते, उसे फूलों से सजाते, दूध से उसको स्नान कराते। और उस दूसरे पत्थर के ऊपर नारियल फोड़ कर जाते।

जब भी दर्शन के लिए आये लोग उस पत्थर के ऊपर नारियल फोड़ते तो उस पथ्थर को बहुत तकलीफ़ होता। वह दर्द के कारण चिल्लाता लेकिन कोई भी उसकी पीड़ा सुनने वाला नही था। उस पत्थर ने फिर मूर्ति बने हुए पत्थर से बात करते कहा कि भाई तुम तो बहुत मज़े से हो। जो भी लोग मन्दिर मैं आते हैं वो सब तुम्हारी पूजा करते हैं। तुम्हें दूध से नहलाते हैं। तुम्हें लड्डुओं का भोग चढ़ाते हैं। लेकिन मेरी किस्मत देखो कितनी ख़राब है कि लोग मुझपर नारियल फोड़ फोड़ कर जाते हैं।

जब मूर्ति बने पत्थर ने यह बात सुनी तो वह बोला कि जिस समय मूर्तिकार तुम पर अपने औज़ारों से कारीगरी कर रहा था, अगर तुम उस समय उसको ऐसा करने से नहीं रोकते तो आज यहाँ मेरी जगह पर तुम होते। लेकिन तुम उस वक़्त दर्द को सहन ना कर सके और तुमने आसान रास्ता चुना जिसकी वजह से तुम अब दुःख उठा रहे हो। उस पत्थर ने कहा कि मुझे सारी बात समझ आ गयी है और अब से मै भी कोई शिकायत नहीं करूँगा।

अब जब भी लोग आकर उस पर नारियल फोड़ते तो वह कोई शिकायत नही करता। इस तरह नारियल टूटने से उस पर भी नारियल का पानी गिरता रहता था। कुछ समय बाद लोग उसपर नारियल फोड़ने के बजाये मूर्ति को भोग लगाकर प्रसाद रखने लगे।

कहानी की नीति (Moral of the story) – कोई भी परिस्थिति हो, हमें कभी भी किसी भी परिस्थिति से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि डट कर उसका सामना करना चाहिए। क्योंकि ज़िन्दगी मैं अगर सुख देखना है तो थोड़ी तकलीफ़ तो उठानी ही पड़ेगी।

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कहानी नंबर 2 – माँ की ममता – Short story with moral in hindi

एक गाँव में पवन नाम का एक लड़का रहता था। बचपन में ही उसके पिता की मृत्यु हो गयी थी, जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। पवन की माँ इतनी पढ़ी लिखी नही थी कि कोई नौकरी कर सके। इसलिए वह घर घर जाकर बर्तन मांझती और सिलाई बुनाई करके किसी तरह से अपने घर का खर्च चला रही थी। और बाकी बचे पैसों से अपने बच्चे पवन को पढ़ा लिखा रही थी।

पवन बचपन ही से बड़ा शर्मीला था और ज़्यादा बोलता भी नही था। स्कूल से एक दिन जब वह वापस आया तो हाथ में एक चिट्ठी थी। उसने अपनी माँ को वह चिट्ठी दी और कहा कि स्कूल के मास्टर साहब ने ये लिफाफा तुम्हें देने के लिए बोला है। उसकी माँ ने दिल ही दिल मैं उस चिट्ठी को पढ़ा और खुश हो कर बोली, इसमें लिखा है की आपका बेटा पवन बहुत बुद्धिमान है। इस स्कूल के सभी बच्चों में से इसका दिमाग बहुत तेज़ है। और इस स्कूल मैं इसे पढ़ाने योग्य अध्यापक नहीं हैं। इसलिए कल से आप इसे इस स्कूल मैं पढ़ने के लिए ना भेजें।

माँ की यह बात सुनकर पवन को दुःख हुआ कि वह अब अपने स्कूल नहीं जा सकेगा। लेकिन इस बात से उसको आत्मविश्वास मिला कि वह बुद्धिमान है और उसका दिमाग बहुत तेज़ है। माँ ने पवन का दाखिला एक दूसरे स्कूल में करा दिया। समय बीतता गया, पवन ने खूब मेहनत से दिल लगा कर पढ़ाई की। मेहनत करते करते उसने एक दिन सिविल सर्विसेज की परीक्षा भी उत्तीर्ण करली और परीक्षा पास करके एक आई-अ-एस (IAS)ऑफिसर बन गया।

पवन की माँ अब बहुत बूढ़ी हो गयी थीं, और बहुत दिनों से वह एक जानलेवा बीमारी से पीड़ित थीं। एक दिन अचानक से पवन की माँ का देहांत हो गया। पवन चीख चीख कर रोने लगा। वह अपनी माँ से बहुत प्रेम करता था। वह सोचने लगा कि अब वह अपनी माँ के बिना कैसे रहेगा। एक दिन अपनी माँ को याद करते करते उसकी आँखें भर आयीं, और उसने रोते रोते अपनी माँ की अलमारी खोली। और अलमारी के अन्दर से उनका चश्मा, माला, और अन्य वस्तुएं हाथ मैं निकाल कर चूमने लगा।

उस अलमारी में पवन की माँ ने उसके बचपन के पुराने कपड़े, खिलौने और बहुत से सामान संभाल कर रखे थे। पवन उन सब सामानों को देख ही रहा था तो उसकी निगाह उसी पुरानी चिट्ठी पर गयी जो 18 साल पहले उसके मास्टर साहब ने उसकी माँ के लिए दी थी। अपनी नम आँखों से पवन उस चिट्ठी को पढ़ने लगा। उस चिट्ठी मैं लिखा था-

“आदरणीय अभिभावक,
आपको यह बताते हुए हमें दुःख हो रहा है कि आपका बेटा पवन पढ़ाई में बहुत कमज़ोर है। और किसी खेल में भी भाग नहीं लेता है। और हमेशा चुप चुप बैठा रहता है। इससे यह पता चलता है कि शायद पवन की उम्र बढ़ने के साथ साथ इसके दिमाग का विकास नहीं हुआ है। इसलिए हम इसे अपने स्कूल में नही पढ़ा सकते हैं। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि या तो आप पवन का दाखिला किसी भी मंद-बुद्धि स्कूल में करा दें या खुद अपने पास घर पर ही इसे पढ़ाएं।
सादर,
प्रधानाचार्य”

पवन ने जब यह चिट्ठी पढ़ी तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। उसे ज्ञात हुआ कि उसकी माँ ने कैसे उसका आत्मविश्वास बढाने के लिए उससे झूठ बोला था। पवन को अपनी माँ की और ज़्यादा याद आयी और अपनी माँ की तस्वीर को अपने सीने से लगा कर रोने लगा। पवन जानता था कि भले अब उसकी माँ इस दुनिया में उसके साथ नहीं है। पर वो जहाँ भी रहें उनकी ममता उनका आशीर्वाद सदा उस पर बना रहेगा!

दोस्तों, रुडयार्ड किपलिंग ने कहा है –
भगवान् सभी जगह नहीं हो सकते इसलिए उसने माएं बनायीं। माँ से बढ़कर त्याग और तपस्या की मूरत भला और कौन हो सकता है ? हम पढ़-लिख लें, बड़े हो कर कुछ बन जाएं इसके लिए वो चुपचाप ना जाने कितनी कुर्बानियां देती है, अपनी ज़रूरतें मार कर हमारे शौक पूरा करती है। यहाँ तक कि संतान बुरा व्यवहार करे तो भी माँ उसका भला ही सोचती है।

कहानी की नीति (Moral of the story)- दोस्तों! माँ जैसा कोई नहीं हो सकता। अगर आप के पास माँ है तो आप दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। माँ वह अनमोल रतन है जिसका कोई मोल नही है।

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कहानी नंबर 3 – आलसी आदमी – Story in hindi with moral

एक गाँव में एक व्यक्ति था, वह बहुत आलसी और गरीब था। वह कभी भी किसी काम के लिए मेहनत नहीं करता था। वह भीख मांग मांगकर अपना खर्चा चलाता था। लेकिन वह चाहता था कि वह भी अमीर बन जाय, और इसी के लिए वह दिनभर सपना देखता रहता था। एक दिन उसे भीख में किसी ने दूध से भरा हुआ एक घड़ा दिया। उसे बहुत खुश हुई और वह दूध से भरा घड़ा लेकर अपने घर वापस लौट गया।

उसने घर जाकर उस दूध को उबालने के लिए रख दिया। उबालने के बाद उसने कुछ दूध पी लिया और बाकी बचा दूध बर्तन में रख दिया। फिर दूध की दही बनाने के लिए उस बर्तन मैं उसने थोड़ा सा दही डाल दिया। उसके बाद वह सोने के लिए अपनी चारपाई पर लेट गया। सोते समय वह दही के विषय मैं ही सोचने लगा। उसे ख्याल आया कि; “जब सुबह को सारा दूध दही बन जायेगा तो मैं फिर इससे से मक्खन तैय्यार कर लूंगा। फिर उस मक्खन को गर्म करूँगा और उससे घी तैय्यार कर लूंगा।

फिर मैं उस घी को बाज़ार में जाकर बेच दूँगा। इससे मैं कुछ रुपय कमा लूंगा। उन रूपियों से मैं अपने लिए एक मुर्गे-मुर्गी का जोड़ा खरीद लूंगा। उसके बाद वह मुर्गी कुछ अंडे देगी, उन अंडो मै से बहुत सारे बच्चे होंगे। फिर वह बड़े होकर मुर्गे- मुर्गीयां बन जायेंगे। फिर ये मुर्गियां सैकड़ों अंडे देंगी और मेरे पास इस तरह एक बड़ा सा पोल्ट्री फार्म हो जायेगा।” वह इसी तरह कल्पना में डूबा रहा और सोचता रहा “फिर मैं सारी मुर्गियों को बेचकर कुछ गायें और भैंसे खरीद लूंगा।

फिर मैं दूध बेचकर एक दूध की डेयरी खोल लूंगा। गाँव और शहर के सभी लोग मेरे पास दूध खरीदने आएंगे। और इस तरह मैं बहुत ही जल्द अमीर बन जाऊंगा। फिर में एक अमीर खूबसूरत लड़की से विवाह कर लूंगा। फिर शादी के बाद मुझे एक सुंदर सा बेटा होगा। फिर अगर उसने कोई भी शरारत की तो में गुस्सा होकर उसे सबक सिखाने के लिए डंडे से इस तरह मारूंगा।

यही सोचते हुए उसने अपनी चारपाई के बगल में पड़ा हुआ डंडा उठा लिया और सोच-सोच मैं उस डंडे से अपने बेटे को मारने का नाटक करने लगा। इस सोच के कारण यही डंडा उसके दूध वाले बर्तन में जा लगा। जिससे दूध का बर्तन टूट गया और सारा दूध ज़मीन पर गिर गया। बर्तन के टूटने की आवाज़ से उस आदमी की नींद खुल गई। उसने ज़मीन पर फैला हुआ दूध देखा और अपना सिर पकड़ लिया।

कहानी की नीति (Moral of the story): दोस्तों सपने देखो, लेकिन खाली सपने देखने से कुछ नहीं होगा। उन सपनो को पूरा करने के लिए हमें बहुत मेहनत करनी होगी। ज़िन्दगी में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता और कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।

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कहानी नंबर 4 – बेवकूफ मगरमच्छ और खरगोश – Hindi moral stories short

एक जंगल था, उस जंगल मैं बहुत से जानवर रहते थे। उस जंगल में एक झील भी थी और सभी जानवर यह मानते थे, कि उस झील में एक राक्षस रहता है। और जो भी जानवर शाम के बाद पानी पीने उस झील पर जाता है तो वह राक्षस उनको खा लेता है। इसी डर से शाम के बाद कोई भी जानवर उस झील के आस पास भी नहीं जाता था।

एक दिन उस जंगल में एक खरगोश आया। वह सभी जानवरों से मिला लेकिन सब उसे झील के राक्षस के बारे में बताना भूल गए। जब उसे प्यास लगी तो वह पानी पीने के लिए उस झील की तरफ बढ़ रहा था तो उसने देखा कि एक मगरमच्छ उसकी तरफ तेज़ी से आ रहा है। खरगोश उस मगरमच्छ को देखकर फ़ौरन जंगल की तरफ भाग गया।

जब वह भाग रहा था तो जंगल के जानवरों ने उसे देख लिया और उससे इसका कारण पूछा। खरगोश ने उन सब को बताया कि जब वह झील पर पानी पीने जा रहा था तो उसे एक मगरमच्छ दिखा, इसलिए वह भाग रहा था। खरगोश की बात सुनकर जानवरों ने कहा कि मगरमच्छ उस झील पर क्या कर रहा है? वहाँ तो वह राक्षस रहता है जो वहाँ जाने वाले जानवरों को खा जाता है। और आज से पहले हमने वहाँ किसी मगरमच्छ को नहीं देखा। ऐसा तो नही कि यह मगरमच्छ ही शाम के बाद उस झील में पानी पीने के लिए जाने वाले जानवरों को खाता हो?

अगले दिन ही शाम को सभी जानवर उस खरगोश के साथ झील के पास गए। जब मगरमच्छ ने सभी जानवरों को आते देखा तो वह पानी में छुप गया। लेकिन उसकी पीठ का कुछ भाग अभी भी पानी के ऊपर दिखाई दे रहा था। खरगोश को पता चल गया कि यह मगरमच्छ ही है। लेकिन दूसरे जानवरों को लग रहा था कि यह एक पत्थर है।

खरगोश ने दिमाग लगा कर एक तरकीब सोची जिससे सभी जानवरों को यह यकीन आ जाये कि यह एक मगरमच्छ ही है। खरगोश जानबूझकर ज़ोर से बोला, “यह लग तो पत्थर ही रहा है, लेकिन हमें तो यकीन तभी आएगा जब यह खुद बोलकर हमैं बताएगा।” खरगोश की बात सुनकर मगरमच्छ अनजाने मैं बोल पड़ा कि मैं एक पत्थर ही हूँ। मगरमच्छ की आवाज़ सुनकर वहाँ खड़े सभी जानवरों यह को पता चल गया, कि झील मैं कोई राक्षस नही है बल्कि यह मगरमच्छ ही सभी जानवरों को खा जाता था।


खरगोश ने मुस्कुरा कर मगरमच्छ से कहा कि बेवकूफ तुमको इतनी भी समझ नहीं है कि पत्थर कभी बोला नहीं करते। इसके बाद जंगल के सभी जानवरों ने मिल कर उस मगरमच्छ को उस झील से भगा दिया। अब सभी जानवर खुशी खुशी रहने लगे।

कहानी की नीति (Moral of the story) – दोस्तों ! इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन मैं जो भी समस्या हो उसका कोई ना कोई समाधान ज़रूर होता है। और जब हम बिना डरे किसी भी समस्या का सामना करते हैं तो उससे छुटकारा पा सकते हैं।

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कहानी नंबर 5 – जो भी होता है अच्छे के लिए होता है – Small moral stories in hindi

एक समय की बात है, एक राजा था जिसे तलवारबाज़ी का बहुत शौक था। एक दिन वह तलवारबाज़ी कर रहा था तो अचानक से तलवारबाज़ी करते हुए उसकी ऊँगली कट गयी। वहीं पास खड़े एक मंत्री फ़ौरन बोल उठे, महाराज चिंता ना कीजिये। जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है।

मंत्री की यह बात सुनकर महाराजा को बहुत गुस्सा आता है और वह उस मंत्री को क़ैदखाने में कैद करने का हुक्म दे देता है। और अपने सिपाहियों से बोलता है कि इसको तुरंत फांसी पर चढ़ा दिया जाए। राजा की यह बात सुनकर मंत्री घबरा जाता है, और राजा से निवेदन करता है कि, राजा साहब! मैं आपके यहाँ इतने समय से काम कर रहा हूँ। क्या मुझे अपनी अंतिम इच्छा पूरी करने का भी अधिकार नहीं मिलेगा?

राजा बोला, चलो ठीक है, बताओ क्या इच्छा है तुम्हारी? मंत्री बोलता है, महाराज मुझपर कृपा करके मुझे 7 दिनों का समय दे दीजिए। उसके बाद आपको मुझे जो सज़ा देनी है, दे दीजिएगा। महाराजा ने उस मंत्री की यह अंतिम इच्छा स्वीकार कर ली।

अगले दिन राजा अपने कुछ सैनिकों को लेकर जंगल में शिकार के लिए गया। शिकार के दौरान राजा रास्ता भटक गया और अपने सैनिकों से बिछड़ गया। कुछ समय बाद राजा रास्ता ढूंढते ढूंढते वनवासियों के बीच मैं पहुंच गया। वो वनवासी अपनी वन की देवी को बली देने के लिए किसी इंसान को ढूंढ रहे थे। उन वनवासियों ने जब राजा को देखा तो पकड़ लिया और सोचा कि अब वन की देवी को इसकी ही बली दे देते हैं।

उन वनवासियों ने राजा को बली देने की सारी तैयारियां पूरी कर लीं। जब उस राजा को बली दिये जाने वाली जगह के ले जाया गया तो, वहाँ खड़े किसी बूढ़े व्यक्ति की निगाह राजा की कटी हुई ऊँगली पर पड़ गयी। तो उस बूढ़े ने फ़ौरन आवाज़ लगाई कि, इसकी बली नही दी जा सकती क्योंकी इसकी ऊँगली खंडित है। बूढ़े की यह बात सुनकर उन वनवासियों ने राजा को खंडित होने के कारण छोड़ दिया।

राजा बहुत परेशानियों का सामने करते हुए किसी तरह अपनी जान बचा कर वहाँ से निकला और अपने राज्य पहुंचा। अपने महल मैं पहुँचते ही वह सबसे पहले अपने मंत्री से मिलने क़ैदखाने गया। राजा ने मंत्री से बोला, आपने सही कहा था कि जो होता है वो अच्छे के लिए होता है। क्योंकी आज अगर मेरी ऊँगली कटी ना होती तो मैं आपके सामने ज़िंदा नही खड़ा होता।

राजा ने मंत्री को सारी कथा सुनाई कि उसके साथ क्या क्या हुआ था। सारी बात बताने के बाद राजा ने फिर मंत्री से पूछा, अच्छा मेरा तो फायदा हुआ लेकिन आप यह बताएं कि मैंने आपको सज़ा दी तू इसमे आपका क्या फायदा हुआ?

मंत्री बोला, महाराज जब भी आप शिकार के लिए जाते हैं तो मैं भी आपके साथ हमेशा रहता हूँ। इसी तरह अगर मैं अगर कैद ना होता तो आपके साथ शिकार पर अवश्य जाता। आप तो खंडित होने के कारण बच गए, लेकिन मेरे खंडित नहीं होने के कारण मेरी बली तो अवश्य चढ़ जाती। इसलिए यह जो मेरे साथ हुआ वह भी अच्छा ही हुआ।

राजा मंत्री की बात से बहुत प्रसन्न हुआ। लेकिन राजा को दुःख भी हुआ क्यों की उसने इतनी छोटी सी बात पर अपने एक मित्र जैसे मंत्री को सज़ा दे दी। उसके बाद राजा ने मंत्री को कैदखाने से निकलवाया और फिर से अपने साथ रख लिया।

कहानी की नीति (Moral of the story): दोस्तो अपनी ज़िन्दगी मैं ऐसा समय भी आता है जब जीवन में कुछ चीजें अपनी मर्ज़ी के मुताबिक नही होतीं। इसकी वजह से कभी दुखी और निराश नहीं होना चाहिए। हमेशा यह याद रखें कि जीवन मैं जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है। भले ही कुछ अच्छा हो या न हो, लेकिन उस परिस्थिति के प्रति सकारात्मक नज़रिया रखने से उसका प्रभाव बहुत कम हो जाता है।

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कहानी नंबर 6 – बुद्धिमान राजकुमार – Small stories in hindi with moral

एक बार की बात है एक बुद्धिमान राजा था। उसके दो बेटे थे। उसने उन्हें सभी विद्याँए और कलाएँ सिखाने के लिए अपने राज्य के प्रख्यात विद्वानों को नियुक्त किया। कुछ समय बाद राजा बहुत बीमार पड़ गया। इसलिए उसने सोचा अब वक़्त आ गया है कि वह अपने दोनों बेटों मै से राज्य के लिए सबसे योग्य, कुशल और बुद्धिमान राजा चुने। तो उसने अपने बेटों की क्षमताओं का परीक्षण करने की योजना बनाई।

उसने उन दोनों को अपने पास बुलाया और कहा कि मैं आप दोनों को एक एक कमरा देता हूँ और साथ मैं एक एक अशर्फी भी देता हूँ। आपको इस एक अशर्फी से अपनी इच्छानुसार कोई भी चीज़ खरीद कर अपने कमरे को पूरी तरह से भरना होगा। यह कुछ भी चीज़ हो सकती है, लेकिन याद रहे कि कमरे की कोई भी जगह खाली ना रहे। और इस काम के लिए आप किसी से सलाह भी नही ले सकते।

अगले दिन, परीक्षा के निर्णय के लिए राजा पहले बड़े बेटे के कमरे में गया। कमरा पूरी तरह से घाँस फूस से भरा हुआ था। राजा को बड़े बेटे की मूर्खता पर बहुत गुस्सा आया और वह आह भरता हुआ छोटे बेटे के कमरे की और बढ़ा।

जब वह छोटे बेटे को दिये गये कमरे के पास पहुंचा तो उसका कमरा बंद था। राजा ने दरवाज़ा खटखटाया तो छोटे बेटे ने आवाज़ लगाकर अपने पिता को कमरे के अंदर आने के लिए कहा। और जैसे ही राजा कमरे के अंदर आया तो छोटे बेटे ने फिर से दरवाज़ा बंद कर दिया। राजा ने देखा की कमरे मैं हर जगह अंधेरा था, अंधेरा देख कर राजा अपने बेटे पर गुस्से से चिल्लाया।

लेकिन तभी छोटे बेटे ने एक मोमबत्ती जलाई और कहा, देखिए मैंने इस पूरे कमरे को रोशनी से भर दिया है। अब राजा अपने छोटे बेटे से बहुत खुश हुआ और उसने गर्व से अपने बेटे को गले लगा लिया। वह समझ गया कि छोटा बेटा बहुत बुद्धिमान है और यही राज्य पर शासन करने के लिए योग्य राजा होगा।

कहानी की नीति (moral of the story) – बुद्धिमान बनिए क्योंकी बुद्धिमान व्यक्ति जानता है कब, कहाँ और क्या करना है

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कहानी नंबर 7 – कुछ भी करने से पहले थोड़ा सोचो – Stories in hindi with moral

एक युवक ने शादी के कुछ साल बाद अपने पिता से यह इच्छा ज़ाहिर कि वह अब विदेश जाकर व्यापार करना चाहता है। पिता ने उसको इसकी मंज़ूरी दे दी। फिर युवक अपनी गर्भवती पत्नी और माँ-बाप को यहीं छोड़कर खुद व्यापार करने विदेश चला गया। उसने विदेश में बहुत मेहनत की और खूब धन कमा एक बहुत अमीर सेठ बन गया। 10 वर्ष धन कमाने के बाद उसे घर वापस लौटने की इच्छा हुई। तो उसने अपनी पत्नी को एक पत्र लिखा और अपने आने की सूचना दी।

कुछ दिनों के सफर के बाद वह सेठ अपने नगर पहुंचा। नगर के चौराहे पर पहुँचते ही उसने एक व्यक्ति को एक बोर्ड के साथ खड़ा हुआ पाया, जिसपर लिखा था बेशकीमती ज्ञान के सूत्र। सेठ ने उस व्यक्ति के पास जाकर उससे बात की तो पता चला कि वह बेशकीमती ज्ञान के सूत्र बेच रहा है।

तो सेठ उस व्यक्ति से बोला, ठीक है फिर, एक ज्ञान का सूत्र मुझे भी दे दो। वह व्यक्ति बोला कि, मेरे हर एक ज्ञान सूत्र की कीमत 100-100 स्वर्ण मुद्राएँ हैं। सेठ ने सोचा कि यह सौदा महंगा तो है लेकिन एक ज्ञान सूत्र खरीद ही लेता हूँ। तो उसने उस व्यक्ति से एक सूत्र खरीद लिया। उस व्यक्ति ने उस सेठ को यह ज्ञान का सूत्र दिया कि, “कोई भी काम करने से पहले कुछ पल रुक कर उसके बारे मैं सोच लेना।”

सेठ ने उस व्यक्ति का दिया हुआ सूत्र अपनी डायरी में लिख लिया। जब वो सेठ अपने घर पहुंचा तो रात हो चुकी थी। उसने सोचा कि, मैं इतने सालों बाद विदेश से लौटा हूँ तो क्यों ना सीधे अपनी पत्नी के पास पहुंच कर उसे सरप्राइस दूं। उसने घर के चौकीदारों को इशारे से मना कर दिया कि अंदर कुछ भी ना बताएं। फिर वह सीधे अपनी पत्नी के कमरे में गया और वहां का नज़ारा देखकर वह चौंक गया।

उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी और युवक के साथ सोयी हुई थी। यह सब देखकर वह सेठ गुस्से से आगबबूला हो गया और सोचने लगा कि, मैं परदेस में इसकी इतनी चिंता करता रहा और यह यहाँ दूसरे मर्द के साथ सो रही है। आज तो मैं इन दोनों को जान से मार डालूंगा। उसने गुस्से से अपनी तलवार निकाली और वह उन दोनों पर वार करने ही वाला था कि उसे उस सूत्र की याद आगई जो उसने उस व्यक्ति से खरीदा था।

उसने उस सूत्र (कुछ भी कार्य करने से पहले कुछ पल के लिए सोच लेना) को अपने दिमाग मैं दोहराया और कुछ पल को सोचने के लिए रुक गया। उसने जब अपनी तलवार को वापस पीछे हटाया तो वो किसी बर्तन से टकरा गई। जब तलवार बर्तन से टकराई तो बर्तन नीचे गिर गए और उसकी आवाज़ से पत्नी की नींद खुल गई। जब उसकी आंख खुली तो उसने अपनी आँखों के सामने अपने पति को पाया।

अपने पति को देख कर वह बहुत खुश हुई और बोली, आपके इंतज़ार में इतने वर्ष कैसे निकले यह मैं हीं जानती हूं। आपके बिना तो मेरा जीवन सुना सुना था। पत्नी इतना बोलकर पास सोए हुए युवक को उठाते हुए बोली, बेटा उठ जा तेरे पिताजी आए हैं। युवक उठा और खुशी से उठकर जैसे ही अपने पिताजी का आशीर्वाद लेने के लिए झुका, तो उसके सर की पगड़ी सेठ के पैरों में जा गिरी और उसके लंबे-लंबे बाल बिखर गए।

फिर सेठ की पत्नी ने कहा कि, यह आपकी बेटी है। इसके सम्मान और परवरिश पर कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान पालन पोषण और संस्कार दिए हैं। यह सुनकर सेठ की आंखें आंसूओं से भर गयीं। उसने अपनी पत्नी और अपनी बेटी को गले लगा लिया। और मन ही मन मैं सोचने लगा कि यदि आज अगर मैंने उस व्यक्ति द्वारा दिये हुए ज्ञान के सूत्र पर अमल नहीं किया होता तो आज आवेश में आकर मैं अपने परिवार को खो देता। और मेरे हाथों से मेरा ही निर्दोष परिवार खत्म हो जाता।

कहानी की नीति (Moral of the stories) – दोस्तों इस कहानी से हम ये सीख ले सकते हैं कि कभी भी बिना सोचे समझे कोई निर्णय ना लें। क्योंकी जब हम गुस्से में होते हैं, तो हमें अच्छे बुरे की समझ नहीं रहता है। इसलिए जब गुस्सा आये तो इस स्थिति में कोई भी फैसला ना लें। कुछ देर रुकें, गुस्से और दिमाग को ठंडा होने दें और फिर सोचें कि क्या सही है, क्या गलत है।

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कहानी नंबर 8 – खज़ाने की खोज – Short moral stories in hindi

एक गांव में एक किसान रहता था। उसका नाम किशनलाल था। वह अपनी पत्नी और तीन लड़को के साथ रहता था। किशनलाल खेतों में मेहनत करता था और अपने बीवी बच्चों का पेट पालता था। लेकिन किशनलाल के तीनों बेटे बहुत ही नाकारा थे। वे कुछ भी काम नहीं करते थे, बस सारे गांव में वैसे ही आवारा घूमते रहते थे।

एक दिन किशनलाल ने अपनी पत्नी से कहा कि अभी तो मैं ज़िन्दा हुँ और स्वस्थ हूँ तो खेतों में काम कर रहा हूँ। लेकिन मेरे मरने के बाद इन तीनों का क्या होगा। इन्होने तो कभी भी खेत मैं जाकर मेहनत भी नहीं की।
किशनलाल की पत्नी ने उसे समझाते हुए कहा कि आप चिंता ना करें धीरे-धीरे ये सब अपनी जिम्मेदारी समझ कर काम करने लगेंगे।

समय बीतता गया और किशनलाल के लड़कों के व्यवहार मैं कोई बदलाव नही आया। वे अब भी नाकारा ही घूमते रहते थे। कुछ समय बाद किशनलाल बहुत बीमार पड़ गया और बहुत दिनों तक बीमार ही रहा।

किशनलाल को चिंता हुई कि उसके जाने के बाद उसके बेटों का क्या होगा। तो उसने अपनी पत्नी को कहा कि वह तीनों बेटों को बुला कर लाये। उसकी पत्नी तीनों बेटों को बुलाकर लायी। किशनलाल ने अपने बेटों से कहा, लगता है अब मै ज़्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रहूँगा।

इसलिए मैं अब तुम्हें कुछ बताना चाहता हुँ। बेटों मैने अपने जीवन में जो भी कुछ कमाया है वह खज़ाना अपने मैंने खेतों के निचे दबा रखा है। मेरे मरने के बाद तुम उसमे से खज़ाना निकालकर आपस में बाँट लेना। यह बात सुनकर तीनों लड़के खुश हो गए।

कुछ दिनों बाद किशनलाल का देहांत हो गया। किशनलाल की मृत्यु के बाद उसके लड़के दबा खज़ाना निकालने खेत में गए। उन्होंने रात तक सारा खेत खोद डाला, लेकिन उन्हें कोई भी खज़ाना वहाँ नज़र नहीं आया।

लड़के घर वापस आये और अपनी माँ से बोले कि माँ हमसे पिताजी ने झूठ बोला था। उस खेत में तो कोई खज़ाना है ही नहीं। उनकी माँ ने उनसे बताया कि तुम्हारे पिताजी ने अपने पूरे जीवन में बस यही घर और खेत कमाया है। उनके पास कोई खज़ाना नही था। लेकिन अब तुमने खेत खोद ही डाला है तो ऐसा करो कि उसमे बीज बो दो।

माँ के कहेनुसार लड़को ने खेत में बीज बोये और उसमे पानी देते गए। कुछ समय बाद खेत मैं फसल तैयार हो गयी। जिसको बाज़ार मैं बेचकर उन सब को बहुत अच्छा मुनाफा हुआ। और उस कमाई को लेकर वो अपनी माँ के पास आये।

माँ ने कहा कि बेटा तुम्हारी मेहनत ही तुम्हारा असली खज़ाना है और यही तुम्हारे पिताजी तुमको समझाना चाहते थे। बेटों को मेहनत का मूल्य समझ मैं आगया और उस दिन से उन्होंने खूब मेहनत करना शुरु करदी।

कहानी की नीति (Moral of the story) : मेहनत के बिना आप ज़िन्दगी मैं कुछ हासिल नही कर सकते। इस लिय हमें आलस्य को त्यागकर मेहनत करनी चाहिए।

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कहानी नंबर 9 – साधु और एक परेशान युवक – Best hindi story with moral

एक युवक जिसकी उम्र लगभग 25 वर्ष थी। वह अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान था इसलिए उसने अपनी ज़िन्दगी को खत्म करने के बारे में सोचा। जब वह अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए नदी के तट पर पहुंचा तो वहां उसकी मुलाकात एक साधु से हुई।

उसने उस युवक से पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। युवक ने उत्तर दिया, “वह अपने जीवन की समस्याओं से बहुत परेशान है इसलिए वह अब यह जीवन नहीं जीना चाहता।” जब साधु को उसकी परेशानी का पता चला तो उसने बस इतना ही कहा, “मैं तुम्हें एक मंत्र देता हूं जिससे तुम्हारी सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।

इस पर उस युवक ने उत्सुकतापूर्वक साधु से कहा कि महाराज मुझे जल्दी से इस मन्त्र के बारे मैं बताएं।
उसकी बात सुनकर साधु ने कहा कि मंत्र यह है कि “तुम्हें एक साल तक पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी और फिर मेरे पास वापस आना होगा।”

साधु ने जैसा कहा, उसने वैसा ही किया। एक वर्ष तक उसने बहुत मेहनत की और उस अवधि में उसने बहुत पैसा कमाया जिससे उसने अपनी सभी समस्याओं को हल कर लिया।

अब वह अपने जीवन में बहुत खुश था क्योंकि उसने वह सब कुछ हासिल कर लिया था जिसकी उसे ज़िन्दगी मैं ज़रूरत थी। एक दिन वह फिर साधु के पास गया और उस मंत्र को बताने के लिए उसे धन्यवाद दिया।

कहानी की नीति (Moral of the story) – यह कहानी हमें सिखाती है कि कड़ी मेहनत ही सभी समस्याओं का समाधान है, इसलिए हमें अपने जीवन में कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

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कहानी नंबर 10 – दो घनिष्ठ मित्र – Short hindi stories with moral

एक बार दो दोस्त आपस में बातें करते हुए अपने खेतों की तरफ जा रहे थे। उन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी और वो एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समझते थे। रास्ते में उनका किसी बात पर झगड़ा हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि एक दोस्त ने दूसरे को तमाचा जड़ दिया। दूसरे दोस्त ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुपचाप आगे बढ़ता रहा।

कुछ दूर चलने के बाद दोनों रास्ते में पड़ने वाले एक कुएं के पास खड़े हो गए। जिसे थप्पड़ पड़ा था वह कुएँ में झाँकने लगा। अचानक उसका पैर फिसल गया, लेकिन दूसरे दोस्त ने उसे कुएं में गिरने से बचा लिया।
उसने उसे धन्यवाद दिया और यह घटना अपने सभी मित्रों को बतायी।

जिसने थप्पड़ मारा था उसने अपने दोस्त से पूछा, “जब मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा था तो तुमने किसी से शिकायत नहीं की, लेकिन जब मैंने तुम्हें कुएं में गिरने से बचाया था तो तुमने यह बात सबको बता दी” ऐसा क्यों?

तो उसके दोस्त ने जवाब दिया कि हमें हमेशा अच्छी भावनाएँ फैलानी चाहिए ताकि लोग भी अच्छे काम कर सकें। उसका यह जवाब सुनकर उसका दोस्त हैरान रह गया और उनकी दोस्ती और भी मज़बूत हो गई।

कहानी की नीति (Moral of the story) : यह कहानी हमें सिखाती है कि एक अच्छी दोस्ती में अच्छी समझ और सामंजस्य होना चाहिए।

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